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नदी | परिभाषा, भाग और संरचना

Subject: Hindi

Book: Geography (Hindi)

नदी (River) एक प्राकृतिक जलधारा होती है, जो पृथ्वी की सतह पर बहते हुए अन्त में किसी अन्य जलसमूह—जैसे समुद्र, झील या किसी बड़ी नदी—में मिलती है। नदियों का निर्माण प्रायः पर्वतों, ग्लेशियरों या प्राकृतिक झरनों से निकलने वाले पानी से होता है।

### नदी की परिभाषा
- **जलधारा**: नदी ज़मीन पर बहती प्राकृतिक जलधारा है, जो तीव्रगति या धीमी धारा के रूप में लंबी दूरी तय कर सकती है।
- **मूल स्रोत**: अनेक नदियों की उत्पत्ति पर्वतीय क्षेत्र के हिमनदों (ग्लेशियर) या झरनों से होती है, जहाँ पिघलती बर्फ या भूजल का प्रवाह प्रारम्भ होता है।
- **अंतिम बिंदु**: अधिकांश नदियाँ समुद्र में गिरती हैं, जबकि कुछ झील या किसी बड़ी नदी में मिलकर ख़त्म हो जाती हैं।

### नदी के प्रमुख भाग
1. **स्रोत (Source)**
- जहाँ से नदी आरंभ होती है, जिसे नदी का उद्गम या मूल कहते हैं। यह प्रायः ऊँचे पर्वतीय भाग, हिमनद, या ऊपरी पठार क्षेत्र में होता है।

2. **ऊपरी प्रवाह (Upper Course)**
- नदी यहाँ तेज़ बहती है, धाराएँ गहरी घाटियाँ (वैली) काटती हैं। उपरि प्रवाह में खड़ी ढलानें होने से जलप्रपात (जलप्रपात) व त्वरित धारा देखने को मिलती है।

3. **मध्य प्रवाह (Middle Course)**
- ढलान कम होने से जलधारा अपेक्षाकृत धीमी चलती है। नदी अपने किनारों को काटकर मोड़ (meanders) बनाती है। स्थलाकृतियाँ जैसे बाढ़ समतल (Floodplain) यहीं विकसित होती हैं।

4. **निचला प्रवाह (Lower Course)**
- समुद्र के नज़दीक या निचले स्थल पर नदी चौड़ी व धीमी हो जाती है। यहाँ डेल्टा (delta) या मुहाना (estuary) संरचना बन सकती है।

5. **मुहाना/डेल्टा (Mouth)**
- नदी जिस बिंदु पर समुद्र, झील या अन्य नदी से मिलती है, वह मुहाना कहलाता है।
- यदि नदी के अंतिम छोर पर बहुत से सरितामुख/शाखाएँ बन जाएँ, तो इसे “डेल्टा” कहते हैं, उदाहरणस्वरूप गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा।

### नदी की संरचना
- **नदी तली (River Bed)**: वह सतह जहाँ नदी का जल बहता है। रेत, पत्थर, चिकनी मिट्टी आदि से बनी हो सकती है।
- **किनारे (Banks)**: नदी के दोनों ओर के धरातलीय किनारे, जो ऊँचे या समतल हो सकते हैं।
- **धारा (Current)**: जल प्रवाह की दिशा व गति, जो ढलान व अपवाह क्षेत्र से प्रभावित होती है।
- **घाटी (Valley)**: नदी द्वारा लम्बे समय में बनाई गई भूआकृति, जिसमें V-आकार या U-आकार की रचना देखने को मिलती है।

### नदी की महत्ता
- **जल संसाधन**: पेयजल, कृषि सिंचाई, और उद्योगों के लिए पानी का प्रमुख स्रोत।
- **परिवहन**: कई जगहों पर नदी जलमार्ग व्यापार व आवागमन के महत्वपूर्ण साधन हैं।
- **जैवविविधता**: नदी तटवर्ती (riparian) पारितंत्र, अनेक वनस्पतियों व जीवों का आवास होता है।
- **सांस्कृतिक**: ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से भी नदियों का महत्वपूर्ण स्थान रहा है (जैसे गंगा, नर्मदा, नील, आदि)।

### चुनौतियाँ एवं संरक्षण
- **प्रदूषण**: औद्योगिक व घरेलू कचरे से नदी जल प्रदूषित होना एक गंभीर समस्या है।
- **अतिदोहन**: अत्यधिक जल निकासी व बाँधों का निर्माण पर्यावरणीय संतुलन को बिगाड़ सकता है।
- **पर्यावरण-संरक्षण**: नदी के स्वच्छ प्रवाह, जल-जीव संरक्षण, तथा आसपास के पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा हेतु प्रयास आवश्यक हैं।

सारतः, नदियाँ न केवल पृथ्वी की प्राकृतिक जलधाराएँ हैं, बल्कि सभ्यता और पारिस्थितिक संतुलन का आधार भी हैं। इनके विभिन्न भाग—स्रोत से लेकर मुहाने तक—आर्थिक, सांस्कृतिक, और पर्यावरणीय रूप से महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनकी निरंतरता व स्वच्छता बनाए रखना समाज की सामूहिक ज़िम्मेदारी है।